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अनुभूति में शरद तैलंग की रचनाएँ

नई गज़लें
इतना ही अहसास

कभी जागीर बदलेगी
ज़िंदगी की साँझ

मुक्तक में
तीन मुक्तक

कविताओं में
जाने क्यों
नींद
फूलों का दर्द
लाचारी
लेखक ऐसे ही नहीं बनता है कोई 
सिलवटें

अंजुमन में
अपनी करनी
अपनी बातों में
आपका दिल
आप तो बस
आबरू वो इस तरह
इस ज़मीं पर
उस शख्स की बातों का
घर की कुछ चीज़ें पुरानी
जब दिलों में
जो अलमारी में
तलवारें
दिल के छालों
पत्थरों का अहसान
पुराने आईने में
फना जब भी
मेरा साया मुझे
मंज़ूर न था
यारी जो समंदर को
लड़कपन के दिन
समंदर की निशानी

गीतों में
मनवीणा के तार बजे
मेरी ओर निहारो
सीढ़ियाँ दर सीढ़ियाँ

 

इस ज़मीं पर

इस ज़मीं पर जब कहीं न प्यार पाया
उन परिंदों के तभी आकाश भाया

आदमी को आदमी समझो अगर तुम
फिर लगेगा ना तुम्हें कोई पराया

गर्दिशों में भी कभी ना साथ छोड़ो
ये सबक इनसान को दे उसका साया

इसलिए पैरों तले रौंदा गया वो
रौब तारों पर था चंदा ने जमाया

एक कोने में पड़ा है बाप बूढ़ा
क्यों कि घर का मिल रहा अच्छा किराया

जब शरद का नाम आया खुश हुए सब
जिंदगी में बस यही उसने कमाया


 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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