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अनुभूति में तनहा अजमेरी की रचनाएँ-

छंद मुक्त में-
कभी देखना
कुछ खास लोग
दोस्ती
मनुष्य
मैं एक जगह टिक कर बैठूँ कैसे
मैंने मन को बाँध लिया है
ये क्या धुन सवार हो गई

  दोस्ती

मिल गई हैं हाथों से छूटते छूटते खुशियाँ
गम़ चले गए हैं दूर, साथ रह गई खुशियाँ
दिल के कोने में कोई मुस्कुराने लगा है
अंधेरे में सितारा कोई टिमटिमाने लगा है
आते आते इन पलों ने कितना तरसाया है
हर मोड पर इम्तिहान लिया, आज़माया है
महसूस हो रहा है अपना कोई मौजूद है
मिलने बिछड़ने की ये दास्ताँ भी खूब है
तुमसे मिलकर मुझको करार आने लगा है
कह ही दूँ कि तुम पर प्यार आने लगा है

बोलते रहें सुनते रहें चाहे दिन हो या रतिया
चलती रहे सदा, कभी खत्म न हो ये बतिया
अब नशे में जैसे सब कुछ नहाने लगा है
छोटी-छोटी बातों में लुत्फ आने लगा है
ये जो मैंने तुमको अपना हाले दिल बताया है
बड़ी मुश्किल से इसे सबसे छुपाया है,
सुख दुख की बातें हम करते रहेंगे
तुमसे मिलकर मुझको करार आने लगा है
कह ही दूँ कि तुमपर प्यार आने लगा है

४ जनवरी २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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