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अनुभूति में वीरेंद्र जैन की रचनाएँ -

नए गीत-
जाने कितने साल हो गए
देखने को
बनवासों का कोलाहल है
मौत मुझको दे दे मोहलत
ये ही दिन बाकी थे
लिप्साओं ने सारे घर को

गीतों में
अब निर्बंध हुआ

कोई कबीर अभी ज़िंदा है
चाँदी की जूती

अंजुमन में-
किताबें

छंदमुक्त में-
नया घर

हास्य व्यंग्य में-
आमचुनाव में
क्योंजी आप कहाँ चूके?
खूब विचार किए
नाम लिखा दाने दाने पर
बेपेंदी के लोटे
मुस्कान ये अच्छी नहीं
ये उत्सव के फूल
हम चुनाव में हार गए

  आम चुनाव में

ये हारा वो जीता आमचुनाव में
अपना हुआ फ़जीता आमचुनाव में

गीदड़ निकला मतगड़ना के बाद वो
जो बनता था चीता आमचुनाव में

रामराज्य के धोबी जैसी फब्तियाँ
खड़ी हुई जब सीता आमचुनाव में

मानव देह धरे गिरगिट अवतार जो
उसको बड़ा सुभीता आमचुनाव में

चंदा दे दे गंजी हो गई चांद भी
खाली हुआ खलीता आमचुनाव में

वर्कर पानी पी पी करके कोसता
जो दारू था पीता आमचुनाव में

कागज़ कलम उठा दफ़्तर में बैठ फिर
जो बीता सो बीता आमचुनाव में

16 मई 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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