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ये छोटे-छोटे लम्हे
ये बड़ी-बड़ी खुशियाँ

वो पहली बार तेरा करवट बदलना
उठके सम्हलना चलना और गिरना
उन प्यालियों के खनकने
और टूटने की खुशियाँ

वो क्षण-भर को मुस्कुराना
मेरी कानों को खींचना
उन लम्बी रातों की कवायद
फिर सोने की खुशियाँ

वो हाथी, घोड़े, और बुलबुल पकड़ना
वो झूलों की पींगें और तारों को छूना
उन बेतुके गानों पर
नाचने की खुशियाँ

खुशियों की गठरी और जन्नत की परियाँ
बागों की तितली और फूलों की कलियाँ
वो खिलखिलाहट, वो किलकारियाँ
वो हँसना हँसाना
तुमसे है रौशन मेरे खाबों की दुनियाँ

३१ मई २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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