| डर डर उसे फिर न रात का होगाजब ज़मीर उसका जागता होगा।
 क़द्र वो जानता है खुशियों कीग़म से रखता जो वास्ता होगा।
 बात दिल की निगाह कह देगीचुप जुबाँ गर रहे तो क्या होगा?
 क्या बताएगा स्वाद सुख का वोग़म का जिसको न ज़ायक़ा होगा।
 सुलह कैसे करें अंधेरों सेरौशनी से भी सामना होगा।
 दूर साहिल से आ गए 'देवी'अब तो मौजों पे रास्ता होगा
 24 अगस्त 2007 |