अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में महावीर शर्मा की रचनाएँ-

नई ग़ज़लें-
अदा देखो
जब वतन छोड़ा
दिल की ग़म से दोस्ती
भूलकर ना भूल पाए
सोगवारों में
 

अंजुमन में-
अधूरी हसरतें
ग़ज़ल
ज़िन्दगी से दूर
पर्दा हटाया ही कहाँ है?
प्रेम डगर
बुढ़ापा
ये ख़ास दिन

कविताओं में-
दो मौन

संकलन में-
दिये जलाओ- दीप जलते रहे
चराग आँधियों में
मौसम-भावनाओं के मौसम
फागुन के रंग-होली का संदेशा
 

  सोगवारों में

सोगवारों में मेरा क़ातिल सिसकने क्यों लगा
दिल में ख़ंजर घोंप कर, ख़ुद ही सुबकने क्यों लगा

आइना देकर मुझे, मुँह फेर लेता है तू क्यों
है ये बदसूरत मेरी, कह दे झिझकने क्यों लगा

गर ये अहसासे-वफ़ा जागा नहीं दिल में मेरे
नाम लेते ही तेरा, फिर दिल धड़कने क्यों लगा

दिल ने ही राहे-मुहब्बत को चुना था एक दिन
आज आँखों से निकल कर ग़म टपकने क्यों लगा

जाते जाते कह गया था, फिर न आएगा कभी
आज फिर उस ही गली में दिल भटकने क्यों लगा

छोड़ कर तू भी चला अब, मेरी क़िस्मत की तरह
तेरे संगे-आसतां पर सर पटकने क्यों लगा

ख़ुशबुओं को रोक कर बादे-सबा ने ये कहा
उस के जाने पर चमन फिर भी महकने क्यों लगा।

६ अक्तूबर २००८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter