अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में सुमन कुमार घई की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
कैसी वसंत ऋतु
खो चुका परिचय
चीत्कार
जीवन क्रम
प्रेम कहानी
प्रेम के दो भाव
मनदीप पुकार
मैं उसे ढूँढता हूँ
वह पेड़ टूट गया

क्षणिकाओं में-
वसंत

संकलनों में-
वसंती हवा- काश मिलो तुम भी
धूप के पाँव- गरमी की अलसाई सुबह
वर्षा मंगल– सावन और विरह
गाँव में अलाव – स्मृतियों के अलाव
गुच्छे भर अमलतास– अप्रैल और बरसात
                  शुभकामनाएँ
नया साल– नव वर्ष की मंगल वेला पर
         –नव वर्ष के गुब्बारे
जग का मेला– गुड्डूराजा

 

 

चीत्कार

न जाने आज क्यों
मन से उठी चीत्कार क्यों
यह विलाप क्यों
यह अश्रुधार क्यों

भूला
पथिक तो ध्रुवतारा तुम हो
थका श्रमिक तो सुरसरिधारा तुम हो
चहुँदिग भँवर तो किनारा तुम हो
निर्बल का बल दलित का सहारा तुम हो
फिर तुम हीन छाया यह विचार क्यों

कालचक्र की गति तुम हो
अविरल बहती नदी तुम हो
स्वतन्त्र विचरित खग तुम हो
असीम नीलम नभ तुम हो
फिर
तुम न बनो क्षितिज का विस्तार क्यों

रुद्र का हार तुम हो
शेष की फुंकार तुम हो
माँ का प्यार तुम हो
दुर्गा की तलवार तुम हो
फिर भय करे तुम पर प्रहार क्यों

तुम आदि–कथा पात्र अन्तहीन
तुम युगपुरुष अनन्त स्वाधीन
तुम
सूर्यरथ सारथी तुम कर्मवीर
तुम ले आओ प्रकाश तिमिर चीर
फिर फैला यह विषाद का अन्धकार क्यों

न जाने आज क्यों
मन से उठी चीत्कार क्यों
यह विलाप क्यों
यह अश्रुधार क्यों 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter