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                   अनुभूति में
                  रामधारी सिंह दिनकर की  
                  रचनाएँ - 
                  
                  आग की भीख 
                  कलम आज उनकी जय बोल 
                  कवि
                   
                  गीत 
                  
                  जवानी का झंडा 
                  
                  भगवान के डाकिये 
                  वीर 
                  समरशेष है  
                  सावन में
                   
                  हिमालय
                   
                  हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों 
                   
                  संकलन में - 
                  वर्षामंगल - 
                  पावस गीत 
                  गाँव में अलाव -
                  मिथिला 
                  में शरद 
                  प्रेमगीत - 
                  नामांकन 
                  मेरा भारत - 
                  ध्वजा वंदना 
                  जग का मेला - 
                  चाँद का कुर्ता 
                   | 
                
       
      
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                  गीत 
                  उर की यमुना भर उमड़ चली, 
                  तू जल भरने को आ न सकी, 
                  मैं ने जो घाट रचा सरले! 
                  उस पर मंजीर बजा न सकी। 
                  दिशि-दिशि उँडेल विगलित कंचन, 
                  रंगती आयी सन्ध्या का तन, 
                  कटि पर घट, कर में नील बसन, 
                  कर नमित नयन चुपचाप चली, 
                  ममता मुझ पर दिखला न सकी, 
                  चरणों का धो कर राग नील - 
                  सलिला को अरुण बना न सकी। 
                  लहरें अपनापन खो न सकीं 
                  पायल का शिंजन ढो न सकीं, 
                  युग चरण घेर कर रो न सकीं, 
                  विवसन आभा जल में बिखेर 
                  मुकुलों का बन्ध खिला न सकी, 
                  जीवन की अयि रूपसी प्रथम! 
                  तू पहिली सुरा पिला न सकी।  |