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अनुभूति में रामधारी सिंह दिनकर की
रचनाएँ -

आग की भीख
कलम आज उनकी जय बोल
कवि
गीत
जवानी का झंडा
भगवान के डाकिये
वीर
समरशेष है
सावन में
हिमालय
हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

संकलन में -
वर्षामंगल - पावस गीत
गाँव में अलाव - मिथिला में शरद
प्रेमगीत - नामांकन
मेरा भारत - ध्वजा वंदना
जग का मेला - चाँद का कुर्ता

  कवि

उषा थी युग से खड़ी लिए
प्राची में सोने का पानी,
सर में मृणाल-तूलिका, तटी में
विस्तृत दूर्वा-पट धानी।

खींचता चित्र पर कौन? छेड़ती
राका की मुसकान किसे?
बिम्बित होते सुख-दुख, ऐसा
अन्तर था मुकुर-समान किसे?

दन्तुरित केतकी की छवि पर
था कौन मुग्ध होनेवाला?
रोती कोयल थी खोज रही
स्वर मिला संग रोनेवाला।

अलि की जड़ सुप्त शिराओं को
थी कली विकल उकसाने को,
आकुल थी मधु वेदना विश्व की
अमर गीत बन जाने को।

थी व्यथा किसे प्रिय? कौन मोल
करता आँखों के पानी का?
नयनों को था अज्ञात अर्थ
तब तक नयनों की वाणी का।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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