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अनुभूति में डॉ. अजय पाठक की रचनाएँ-

नए गीत-
उज्जयिनी में
कहो सुदामा
फागुन के दिन
जीने का अभ्यास
सौ-सौ चीते

गीतों में
अनुबंध
आदमखोर हवाएँ
कबिरा तेरी चादरिया
कुछ तेरे, कुछ मेरे
गाँव
चारों धाम नहीं
चिरैया धीरे धीरे बोल
जीना हुआ कठिन
जोगी
दर्द अघोरी
पुरुषार्थ
बादल का पानी
भोर तक
मौन हो गए
यामिनी गाती है

सफलता खोज लूँगा
समर्पित शब्द की रोली
हम हैं बहता पानी बाबा

संकलन में
नव सुमंगल गीत गाएँ
महुए की डाली पर उतरा वसंत
बादल का पानी

 

बादल का पानी

बरस गया बादल का पानी!
बिजली चमकी दूर गगन में,

कंपन होते प्राण भवन में,
तरल-तरल कर गई हृदय को,
निष्ठुर मौसम की मनमानी।
बरस गया बादल का पानी!

धुली आस कोमल अंतर की,
बही संपदा जीवन भर की,
फिर भी लेती रहीं लहरियाँ
हमसे निधियों की कुरबानी।
बरस गया बादल का पानी!

धार-धार में तेज़ लहर है,
लहरों में भी तेज़ भँवर है,
सपनों का हो गया विसर्जन,
घेरे आशंका अनजानी।
बरस गया बादल का पानी!

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