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अनुभूति में अश्विनी कुमार विष्णु की रचनाएँ

गीतों में-
चंदा मामा रहो न अब यों
चलना पथ पाना है

तटबन्धों-का टूटना
मन की पहरेदारी में

मेघ से कह दो

अंजुमन में-
टूटे-फूटे घर में
फ़ुर्सत मिले तो
बिना मौसम
शहर में

संकलन में-
नयनन में नंदलाल- प्रभुकुंज बिहारी
नया साल- नया क्या साल में है
ममतामयी- जय अम्बिके
विजयपर्वी- आशाएँ फलने को विजयपर्व कहता चल
         पिंजरे का तोता
होली है- फागुन की पहली पगचाप

हरसिंगार- मन हरसिंगार

 

बिना मौसम

बिना मौसम सुहानी शाख़ पर बैठे नहीं होते
मुझे मालूम है पंछी कभी झूठे नहीं होते !

ये पक्की बात है दिन-रात में उनकी महक होती
मेरे सपने अगर तूने कभी लूटे नहीं होते !

यूँ ही बेआबरू मैं लौटता तो फिर कहाँ जाता
अगर कुछ लोग घर की राह में छूटे नहीं होते !

मेरे हरसू उन्हीं वीरानियों के भूतबँगले हैं
जहाँ गुंचे नहीं हँसते जहाँ बूटे नहीं होते !

वफ़ा यूँ भी दिलों के गुलशनों में रंग भरती है
कोई बिजली गिरे पाला पड़े ठूँठे नहीं होते !

२१ नवंबर २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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