अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में धनंजय सिंह की रचनाएँ-

गीतों में-
दिन क्यों बीत गए

ध्वन्यालोकी प्रियंवदाएँ
पानी थरथराता है
बेच दिये हैं मीठे सपने
भाव विहग
मधुमय आलाप
मौन की चादर

 

 

 

बेच दिए हैं मीठे सपने

हमने तो
अनुभव के हाथ
बेच दिए हैं मीठे सपने

सूरज के
छिपने के बाद
हुए बहुत मौलिक अनुवाद
सुबह
लिखे पृष्ठ लगे छपने

स्वर्ण कलश
हाथ से छुटे
रोटी के दाम हम लुटे

ऊँचे-ऊँचे
सार्थक मनोबल
बैठ गए हैं माल जपने

२३ अप्रैल २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter