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अनुभूति में कुमार रवींद्र की रचनाएँ

नए गीत-
कल तो दिन भर
दिन बरखा बिजुरी के
पानी बरसा रात

रखा आए
बादल गरजे
सावन आए

गीतों में
अपराधी देव हुए
इसी गली के आखिर में
और दिन भर...
खोज खोज हारे हम

गीत तुम्हारा
ज़रा सुनो तो
पीपल का पात हिला
बहुत पहले
मेघ सेज पर
वानप्रस्थी ये हवाएँ
शपथ तुम्हारी
संतूर बजा
सुनो सागर
हम नए हैं

हाँ सुकन्या

 

कल तो दिन भर

कल तो दिन-भर
बूँद-बूँद बरसी आँखों से
घटा हमारे गाँव की

हमने उसे सहेजा था
साँसों में बरसों
विधवा भौजी की पाती
आई थी परसों

कथा लिखी थी
उसमें घर की टूटी छत की
अमराई की छाँव की

सावन-आये
पान-फूल थीं हुईं हवाएं
हमें याद आयीं
अम्मा की व्यथा-कथाएँ

कच्चे घाटों बसी
कई यादें थीं कौधीं
मोहनवा की नाव की


महानगर में आकर हमने
भरम कई पाले
तुलसीचौरे वाले दीये
कौन भला बाले

जहाँ सिराया था
अम्मा ने दीया पिछला
याद हमें उस ठाँव की   

२ अगस्त २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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