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अनुभूति में मालिनी गौतम की रचनाएँ-

गीतों में-
अँधेरा घना है
अपना मन झकझोर
बदली बदली सी है सूरत
मेरा मन
मौसम बदल गया
रूप अनोखे

अंजुमन में-
कभी आँखे दिखाते हो
ख्वाब आँखों में
चाय की कुछ चुस्कियों में
दफ्न कर अपनी तमन्ना
भूख गरीबी लाचारी है

 

बदली-बदली सी है सूरत

कोयल तू अब क्यों है गाती
किसको अपना गीत सुनाती

आमों के झुरमुट के पीछे
नहीं जमा हुड़दंगी टोली
जीवन की आपा-धापी में
बिछड़ गये हैं सब हमजोली
उजड़ी-उजड़ी सी अमराई
मुझे न फूटी आँख सुहाती

बालकनी के इन गमलों में
कब कोई कचनार पला है
कंकरीट के इस जंगल में
महुए का मन कब मचला है
बदली-बदली सी यह सूरत
दादा-दादी को न लुभाती!

सुर बंसी के लुप्त हुए हैं
भूल गये घुँघरू खनकाना
कान फोड़ कर्कश आवाजें
यही आजकल का है गाना
इन टूटे-फूटे शब्दों में
व्यथा ह्रदय की कहाँ समाती!

नहीं प्रेम के रंग यहाँ हैं
राधा की चुनरी है कोरी
कान्हा तेरी कुंज-गलिन में
हुई आज फागुन की चोरी
फीके-फीके इन रंगों से
रंगोली किस द्वार सजाती!

२० जुलाई २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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