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अनुभूति में मालिनी गौतम की रचनाएँ-

गीतों में-
अँधेरा घना है
अपना मन झकझोर
बदली बदली सी है सूरत
मेरा मन
मौसम बदल गया
रूप अनोखे

अंजुमन में-
कभी आँखे दिखाते हो
ख्वाब आँखों में
चाय की कुछ चुस्कियों में
दफ्न कर अपनी तमन्ना
भूख गरीबी लाचारी है

 

मेरा मन

मेरे मन में चलती रहती
उठा-पटक

किसके हाथों की कठपुतली
बने जगत में रहते हैं
किसके एक इशारे पर हम
काल-चक्र में बहते हैं
इन सारे प्रश्नों के उत्तर
रहे भटक!

चोर-लुटेरों के हाथों में
राम-नाम की माला है
भोले-भाले भक्तों को
अपने साँचों में ढाला है
पोल खुली तो देखो कैसे
गये सटक!

ईश्वर तेरी दुनिया में
मिट्टी-पानी सब बिकता है
सपनों को भी बेच सके
वो शख्स यहाँ पर टिकता है
बेच रहे सब अपनी चीजें
मटक-मटक!

चील झपट्टा मार रही है
बगुले घात लगा बैठे
बनिया मन में सोच रहा
निर्धन का धन कैसे ऐंठे
छोटी-सी मछली को पल में
गये गटक!

२० जुलाई २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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