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अनुभूति में रामस्वरूप सिंदूर की रचनाएँ— 

नयी रचनाओं में-
ऐसे क्षण आए
खो गई है सृष्टि
झंकृत धरती आकाश
बाहर के मधुबन से
सब कुछ भूला  

गीतों में-
अकथ्य को कहने का अभ्यास
आत्म-पुनर्वास भी जियें
आनन्द-छन्द मेरे
घर में भी सम्मान मिला है
ज्वार के झूले पड़े हैं
जन्मान्तर यात्राएँ की हैं
मौन टूटा छंद में
तय न हो पाया
देने को केवल परिचय है
देह मुक्ति मिल गयी मुझे
मरने से क्या होगा
मैं जीवन हूँ
शब्द के संचरण मे
स्वीकार लिया भुजबन्ध
सावन में

‘सुनामी’ ज्वार रह गया हूँ

संकलन में-
होली है- अनुबंध लिखूँ
वर्षा मंगल- अब की
बरखा

 

सब कुछ भूला

सब कुछ भूला, किन्तु न भूले
वे लोचन अभिराम!
तुम्हारे लोचन ललित-ललाम!

चितवन में सपनों की छाया
मृग-मरीचिकाओं की माया
इन्द्रधनुष-धारे पलकों में
छिपे रहें घनश्याम!

बात न जो अधरों तक आये
दृष्टि सहज में ही कह जाये
वे दृग, संकेतों से ले-लें
कैसे-कैसे काम!

कब की उठी मधुर मधुशाला
पर न अभी तक उतरी हाला
कभी-कभी मैं हस्ताक्षर में
लिख जाऊँ खैयाम!

१ फरवरी २०१६

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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