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अनुभूति में डा. रंजना गुप्ता की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
नदी बहती है
बौने होते गीत
ये औरतें
वक्त की आहट

गीतों में-
पीर है ठहरी
राग बसंती
वे दिन
योजना असफल
हाट और बाजार

 

ये औरते !

सदियों से
गले में आँसुओं को
घुटकती औरतें
सदियों से क्यों चुप रही औरतें
सदियों से गुलामी की
अभ्यस्त औरतें
जब भी माँगती है अपने पुरुषों से
माँगती है बस
गहने, कपड़े, हीरे, जवाहरात
जमीन और जायदादें
पर क्यों नही माँग सकीं
वे मुर्दा औरतें
आज तक अपने पुरुषों से
अपने लिये, अपनी आजादी
अपने फैसले
अपनी अस्मिता
अपना वजूद ! 

१५ सितंबर २०१६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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