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अनुभूति में डा. रंजना गुप्ता की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
नदी बहती है
बौने होते गीत
ये औरतें
वक्त की आहट

गीतों में-
पीर है ठहरी
राग बसंती
वे दिन
योजना असफल
हाट और बाजार

 

योजना असफल

योजना असफल विफल सब युक्तियाँ
ताश के जैसी तिलिस्मी रिक्तियाँ

वक्त बंजारा हुआ दिग्भ्रांत सा
सारथी है डिग रहा विश्वास का।
स्याह बादल को
लिखी हैं चिट्ठियाँ।

अवाक हैं आँखें बुढ़ाती आस की
उम्र बढ़ती ज्यों अकल्पित प्यास की
शब्द तरकश में नहीं हैं
मौन की ये चिट्ठियाँ

स्वजन संघाती हुआ सब कुछ हवन
चेतना के आत्मघाती उपकरण
कुश पवित्री
श्लोक हो या सिद्धियाँ

वन पलाशों के लदे यूँ फूल से
बिम्ब सब धुँधले हुए थे धूल से
उथली नदी की
कोख में ज्यों मछलियाँ

ये अनिष्टों के परिंदे रक्त प्यासे
उड़ रहे आपात के बादल बनाते
घातकी हैं
सूर्य की भी रश्मियाँ

स्वार्थी मौसम निरंकुश देश का
बेवजह कुचले गए प्रतिरोध का
शुभ नहीं हैं
लाभ की ये तख्तियाँ

२० अप्रैल २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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