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                  अनुभूति में
                  
                  शंभु शरण मंडल की रचनाएँ— 
                  
                   
                  
                  
                  नये गीतों में- 
					ऐसे भी कुछ पल 
					ज्योति की खुशी 
					झूठी झूठी हरियाली  
					नौबजिया फूल 
					रोटी की चाह 
                  गीतों में- 
					अपनी डफली अपने राग 
					एक सुबह फिर आई 
                  चलो बचाएँ धरती अपनी  
					डोर वतन की हाथ में जिसके 
                  डोलपाती 
                  तेरी पाती मिली 
                  बाल मजदूर 
                  यह तो देखिए 
                  वादों की मुरली 
					
					हे कुर्सी महरानी 
					संकलन में- 
					नया साल-
					
					एक नया पल आए 
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					हो मंगलमय यह वर्ष नया 
					फागुन- आझूलें 
					बाहों में 
					दीप धरो-
					
					ये कैसी उजियारी है 
					नयनन में नंदलाल-
					
					तुम्हीं ने 
					होली है-
					
					फागुन की अगुआई में 
					हरसिंगार-
					
					हरसे हरसिंगार सखी 
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                  बाल मजदूर 
                   
                  रामू चाहे रमिया बोलें  
                  जो भी दें आदेश हुजूर, 
                  करना क्या इनकार हमें  
                  हर शर्ते हैं तेरी मंजूर, 
                   
                  कैसी होली और दिवाली 
                  जाने कैसी फुलझड़ियाँ, 
                  किसने साजिश करके तोड़ी 
                  मेरी खुशियों की लड़ियाँ, 
                  छीन गया है बचपन मेरा 
                  सपने सारे चकनाचूर। 
                   
                  हमसे बाकी बचा न कोई 
                  धंधा कारोबार सुनो, 
                  हमसे कड़वा सच न कोई  
                  दुनिया की सरकार सुनो, 
                  कैसी तेरी बोल तरक्की 
                  कैसा है तेरा ये गरूर। 
                   
                  भूखे भाई बहन माँ तेरे 
                  हों शायद बीमार पिता ना, 
                  पहले मेरा चाँद मुझे दो  
                  फिर तू अपने चाँद पे जाना, 
                  झूठे तेरे कस्मेवादे  
                  झूठे हैं तेरे दस्तूर।३१ मई 
                  २०१०  |