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अनुभूति में मृदुला जैन की रचनाएँ—

चाह एक
दृष्टि
बिखरती आस्था
लम्हा-लम्हा ज़िंदगी
भारत माता के प्रति
सपने

 

लम्हा-लम्हा ज़िंदगी

लम्हा-लम्हा ज़िंदगी
गुज़र जाने दे
अपने नाम के साथ
क्योंकि अच्छा लगता है
मेरा नाम तेरे नाम के साथ।

ज़िंदगी बोझ नहीं
तोहफ़ा है कुदरत का जी लेने दे
तकरार के हज़ार
प्यार के दो लफ़्ज़ ही बुन लेने दे
अपने नाम के साथ
क्योंकि अच्छा लगता है
मेरा नाम तेरे नाम के साथ।

ज़िंदगी अश्क नहीं
एक दरिया है ख़ुशियों का
पी लेने दे
ग़म के हज़ार
खुशी के चंद गीत ही गुनगुनाने दे
अपने नाम के साथ
क्योंकि अच्छा लगता है
मेरा नाम तेरे नाम के साथ।
लम्हा-लम्हा

09 फरवरी 2007

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