उत्सव नव वर्ष का
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२०. १२. २०१५

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साल मुबारक

 

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जैसे सोच की कंघी में से
एक दंदा टूट गया
जैसे समझ के कुर्ते का
एक चीथड़ा उड़ गया
जैसे आस्था की आँखों में
एक तिनका चुभ गया
नींद ने जैसे अपने हाथों में
सपने का जलता कोयला पकड़ लिया
नया साल कुछ ऐसे आया

जैसे दिल के फ़िकरे से
एक अक्षर बुझ गया
जैसे विश्वास के कागज़ पर
सियाही गिर गयी
जैसे समय के होंटों से
एक गहरी साँस निकल गयी
और आदमजात की आँखों में
जैसे एक आँसू भर आया
नया साल कुछ ऐसे आया

जैसे इश्क के ज़बान पर
एक छाला उठ आया
सभ्यता की बाँहों में से
एक चूड़ी टूट गयी
इतिहास की अँगूठी में से
एक नीलम गिर गया
और जैसे धरती ने आसमान का
एक बड़ा उदास-सा ख़त पढ़ा
नया साल कुछ ऐसे आया

- अमृता प्रीतम

उत्सव नव वर्ष का

गीतों में-

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अश्विनीकुमार विष्णु

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आकुल

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पद्मा मिश्रा

अंजुमन में-

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कल्पना रामानी

छंदमुक्त में-

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अमृता प्रीतम

दोहों में-

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रघुविन्द्र यादव



 

१५ दिसंबर से १४ जनवरी तक
नव वर्ष का उत्सव मनाएँगे
हर रोज नव वर्ष की
एक नयी रचना के साथ
यहाँ आएँगे।

पाठकों का स्वागत है रोज यहाँ आएँ
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नवल हर्ष नवल वर्ष कविता में गाना है
सूचित हो कवियों को
उत्सव में आना है
देर नहीं करना है
अपनी रचनाओं को ऊपर दिये पते पर
ईमेल कर देना है
या फिर करवाना है

- टीम अनुभूति
 

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी