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हर एक को
हर किसी के घर का

हर लफ्ज़ कहानी है
हाथीघोड़ा बन कर

संकलन में प्यारी प्यारी होली में

 

बातों में कुछ ऐसे

बातों में कुछ ऐसे बोल सुना जाते हैं
लोग कई तनमन में आग लगा जाते हैं

चिंगारी फूटे न कभी ये नामुमकिन है
दो पत्थर आपस में जब टकरा जाते हैं

मेरे घर में आये तब ये मैंने जाना
दुःख के बवंडर कैसे होश उड़ा जाते हैं

लाख भले ही रख ले उन से दूरी प्यारे
छाने वाले लेकिन मन पर छा जाते हैं

सुन्दरसुन्दर चेहरों की क्या कहिये बातें
मैलेकुचैले कपड़ों में भी भा जाते हैं

१७ नवंबर २०१४





 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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