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दो छोटी कविताएँ

घर

मैं ने चाहा
एक घर बनाऊँ
और अपने आप को
तंग दीवारों से घिरा पाया.

मैं ने सोचा
घरों में सिर्फ
अंतहीन छतें होनी चाहिये
दीवारें नहीं

पीड़ा

तुम्हें
जो पीड़ा हो रही है
वही तुम्हारी
समस्या है

मुझे लगता है
पीड़ा का न होना
दुनिया की
सबसे बड़ी समस्या है

३१ अक्तूबर २०११

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