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अनुभूति में अशोक गुप्ता की रचनाएँ-

नई कविताएँ—
अजन्मी
चीं भैया चीं
लंबी सड़क

कविताओं में—
उन दिनों
कैसे मैं समझाऊँ
झूठ
ग़लती मत करना
गुर्खा फ़ोर्ट की हाइक
दादाजी
नदी के प्रवाह मे
पत्थर
पागल भिखारी
भाग अमीना भाग
माँ 
रबर की चप्पल
रेलवे स्टेशन पर
रामला

गलती मत करना

जब तुम रेलगाड़ी से उतरो
तो रामधुन रिक्शावाले को पूछना,
कहना कि तुम्हें चौक जाना है,
उसको दो रुपये देना, ज़्यादा नहीं।
जब तुम नदी पर पहुँचो
अपने जूते हाथ में ले लेना,
पेड़ के तने के पुल पर
रस्सी पकड़कर रखना,
नहीं तो भीग जाओगे।
कुछ दूर पगडंडी पर चलकर
तुम गाँव के चौक पहुँचोगे।
वैद्यजी को पूछना, उन्हें सब जानते हैं
क्योंकि वे सबको दवाई देते हैं ।
गाँव के लड़के तुम्हारे पीछे आएँगे
क्योंकि तुम्हारे शहर के कपड़े
उन्हें अजीब लगेंगे,
उन्हें आने देना।
यदि तुम मुझे अन्य लड़कियों के साथ
खेलते, या कुछ काम करते देखो,
तो न घूरना, न ही नाम से पुकारना,
वो चौंक जाएँगी।
बस नज़र झुकाकर
तेज चाल से
घर की तरफ बढ़ जाना,
मैं पीछे से आऊँगी।
जब बाबा से मिलो
तो कुछ और बातें करना,
हमारे बारे में नहीं,
नहीं तो वे तुम्हें उद्दंड समझेंगे।
जब वे अँग्रेज़ों के ज़माने
की बात करें,
तो प्रभावित दिखना,
और उन्हें और बताने को कहना।
यदि तुम यह सब करोगे,
और गलती नही करोगे,
तो वे तुम्हें मेरा हाथ
विवाह में दे देंगे।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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