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अनुभूति में अशोक गुप्ता की रचनाएँ-

नई कविताएँ—
अजन्मी
चीं भैया चीं
लंबी सड़क

कविताओं में—
उन दिनों
कैसे मैं समझाऊँ
झूठ
ग़लती मत करना
गुर्खा फ़ोर्ट की हाइक
दादाजी
नदी के प्रवाह मे
पत्थर
पागल भिखारी
भाग अमीना भाग
माँ 
रबर की चप्पल
रेलवे स्टेशन पर
रामला

माँ

सड़क की रोशनी
माँ और मेरे दूर गाँव की
यादों का धुँधलाते खालीपन
भर रही है।

तेज़ बुखार में तपती
मैं बेहोशी में बड़बडा रही हूँ ।
मां पिछवाड़े से मिर्ची और कुछ केले
तोड़ लाती है।

बाज़ार से लौटती है
कुछ रुपए लेकर,
जो वैद्य के लायक भी नहीं।

बत्तियाँ बुझने पर
झींगुर का स्वर
और हमारी सिसकियों का सन्नाटा। 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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