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अनुभूति में मृदुल शर्मा की रचनाएँ-

नए गीतों में-
कड़ी धूप में
कुछ भी बदला नहीं
राजा रहा नचा
सोनकली

गीतों में-
आँख दिखाई है
कठिन समय है
किसी की याद आई
खत मिला
गीत छौने
जोड़ियों को तो बनाता है सदा रब
दूर ही रहो मिट्ठू

पितृपक्ष में
भूल की
यह मत पूछो
रस्मी प्रणाम से

संकलन में-
तुम्हें नमन- क्षमा बापू


 

 

राजा रहा नचा

प्रजातंत्र की कठपुतली को
राजा रहा नचा।

सूनी आँखों में सिर धुनते
रोटी के सपने।
बेबस नजरें मौन बाँचतीं
करम भाग अपने।
भाषण में है
नवविकास का भारी शोर मचा।

उपवन के हालात बताती
पंख नुची तितली।
कलियाँ भूल गयीं मुस्काना
ऐसी हवा चली।
मौसम की मनमानी की
अख़बारों में चर्चा।

सीप शंख के आगे होते
सौदे लहरों के।
और गवाही के हस्ताक्षर
गूँगे बहरों के
बूँद बूँद नदिया की धारा
माँझी रहे पचा।

१ जून २०१५

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