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अनुभूति में ओम प्रकाश तिवारी की रचनाएँ-

कुंडलिया में-
आज के नेता और चुनाव

नई रचनाओं में-
कर्फ्यू में है ढील
कुम्हड़ा लौकी नहीं चढ़ रहे
गाली देना है अपना अधिकार
चाहे जितने चैनल बदलो
न्याय चाहिये

गीतों में-
अब सावन ऐसे आता है
अरे रे रे बादल
बूँद बनी अभिशाप

कुंडलियों में-
पाँच चुनावी कुंडलियाँ

अंजुमन में-
ख़यालों में

 

आज के नेता और चुनाव

नरेंद्र मोदी

गंगा जी में घोलकर टेसू वाला रंग,
सिलबट्टे पर पीसकर असी घाट की भंग।
असी घाट की भंग मिठाई उस पर सोंधी,
आज बनारस बीच कहें सब मोदी - मोदी।
हर हर बम बम बोल कीजिए मन को चंगा,
बाकी नैया पार करेंगी मैया गंगा।

एन.डी.तिवारी

पिचकारी ले हाथ में चाची हैं तैनात,
तारकोल की बाल्टी है बेटे के हाथ।
है बेटे के हाथ घात में हैं माँ-बेटा,
बुढ़ऊ को किस भाँति जाय इस बार लपेटा।
छुपे-छुपे हैं घूम रहे श्रीमान तिवारी,
कहीं न जाए छूट उज्ज्वला की पिचकारी।

ममता बनर्जी- अन्ना

साड़ी इधर सफेद है कुर्ता उधर सफेद,
शुद्ध-सात्विक प्रेम का यही अनोखा भेद।
यही अनोखा भेद मिल गए बन्नी-बन्ना,
जोड़ी सीता-राम लग रही ममता-अन्ना।
दुनिया का दुख ओढ़ रह गए आप अनाड़ी,
अब तो दे दो गिफ्ट बनारसवाली साड़ी।

नीतीश कुमार

फागुन का रंग देखने आओ चलें बिहार,
जहाँ बैठकर कुढ़ रहे हैं नीतीश कुमार।
हैं नीतीश कुमार सँभाले अपना कुर्ता,
मोदी यहाँ न आय बना दें अपना भुर्ता।
रहें सँभलकर आप गाइए अपनी ही धुन,
जो खुद ही बदरंग करे क्या उसका फागुन।

राखी सावंत

बीजेपी दफ्तर गईं जब राखी सावंत,
उन्हें देख फगुवा गए कई संघ के संत।
कई संघ के संत छोड़कर भगवा चोला,
गावैं अरर कबीर भाँग का खाकर गोला।
छोड़ि चुनावी जंग आपके रंग में बेबी,
रंग न जाए आज यहाँ पूरी बीजेपी।

अखिलेश यादव

होली में हैरान से दिखते हैं अखिलेश,
शायद फिर से खो गई है चच्चू की भैंस।
है चच्चू की भैंस यहाँ हर हफ्ते खोती,
उनको करके याद बिचारी चाची रोती।
चापलूस की फौज साथ में है हमजोली,
बापू जी नाराज राम निपटाएँ होली।

रामविलास पासवान

पीकर बारह साल तक सेक्युलरिज़्म की भाँग,
भगवा रंग के हौज में कूदे लगा छलाँग।
कूदे लगा छलाँग दिलाए जो भी सत्ता,
बोलें रामविलास टेकिए उसको मत्था।

फूले इनकी साँस बिना सत्ता के जीकर,
ग़र सत्ता हो हाथ मस्त ठंडाई पीकर।

लालू यादव

चारा खाकर घर पड़े लड़ ना सकें चुनाव,
लालू जी की आज तो दिखे अधर में नाव।
दिखे अधर में नाव आज होली की बेला,
गायब उनके द्वार कार्यकर्ता का मेला।
भौजी लेकर हाथ खड़ीं गोबर का गारा,
लालू गावै फाग अकेले ही बे-चारा।

आम आदमी पार्टी

दिल्लीवाले हाथ में लेकर सूखा रंग,
ढूँढ रहे हैं ‘आप’ को करें उसे बदरंग।
करें उसे बदरंग किया पानी का वादा,
बोलो कहाँ नहायं आज मिलता ना आधा।
होली के दिन आज हुए सब पीले-काले,
हैं यमुना की ओर भागते दिल्लीवाले।

डिनर डिप्लोमेसी

भोजन करवाएँ इन्हें जा फाइव स्टार,
फिर दें इनको दक्षिणा वह भी कई हजार।
वह भी कई हजार अजब हैं अपने नेता,
भर पाएँगे आप अगर ये बने विजेता।
अगर गरम है जेब कीजिए आप प्रयोजन,
नेता हैं तैयार करेंगे आकर भोजन।

७ अप्रैल २०१४

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