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अनुभूति में अनिल मिश्रा की रचनाएँ-

गीतों में-
छू दिया तुमने अचानक
छोटी सी यह बात
गा न गा कोकिल
गोरी गोरी धूप
चौराहे पर
धीरे धीरे शाम

अंजुमन में-
आज तक सबने मुझे
इंकलाबी हाथ को
फूल की खुशबू
बेखुदी में यों उधर रहे
महकती संदली यादें

 

धीरे धीरे शाम

धीरे धीरे शाम सुहानी
उतर रही है भू पर

फिर अम्मा के ताने सुन सुन
घायल होंगे बापू
गति उनकी पहले से ही है
काला पानी टापू
बिटिया जब से हुई सयानी
नींद हुई छू मंतर

कुछ ऐसे भी किस्मत वाले
खुलेगी जिनकी बोतल
पायल बाजेगी छम छम छम
पाँच सितारा होटल।
सब की अपनी राम कहानी
सब का अपना मंज़र

कोई रोये कोई गाये
कोई मौज मनाये
दुखिया का दुधमुँहा दुलेरुआ
दवा बिना मर जाये।
छोड़ो तुम भी अरी फलानी!
क्या पड़ता है अंतर।

१५ दिसंबर २०१४

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