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अनुभूति में सुनील साहिल की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
उठो भी अब
काश
छोटी छोटी बूँदें
जब तुम आते हो
तुमसे मिलने के बाद
दरियागंज के आसपास

हास्य व्यंग्य में-
जोंक
गुरू की महिमा

 

गुरू की महिमा

जब से सन्त कबीर ने
गुरू-महिमा का महत्व समझाया है
सब कवियों ने अपना एक गुरू बनाया है
जैसे अल्हड़, हुल्लड़, चोंच, डंठल, और
श्रीमान अपने सूंडले
हमने सोचा हम भी एक गुरू ढूँढ़ ले
सुना है सन्त दत्तात्रेय ने
अपने जीवन में चौबीस गुरू बनाये थे
पता नहीं गुरू मानते थे या निर्यात करवाये थे
कहते हैं वे अपने गुरूओं की छवि कुत्ता, गधा, उल्लू और मोर में देखते हैं
सो आजकल हम भी इन जंतुओं को
बड़े गौर से देखते हैं
हमने एक कुत्ते से बड़े प्यार से पूछा -
'क्यों भइये गुरू बनेगा
मित्र उस श्वान ने न कविता के बारे में बतालाया
और न ही छंद-शास्त्र पर स्पीच पेली
मगर हमारे पिछवाड़े को काटकर अपनी गुरू-दक्षिणा जरूर ले ली
हम दर्द से बिलबिलाते
एक कॉलेज की तरफ चल दिए
एक खूबसूरत लड़की आती दिख गई
हमने सोचा लो फीमेल गुरू मिल गई
उसे हमने अपनी इच्छा को बतलाया
जाने उसकी क्या समझ में आया
ऐसे घूरने लगी जैसे मुशर्रफ कश्मीर को घूरता है
हमारे गालों पे कस के एक दिया
हमारे अरमानों को जाने कहाँ फेक दिया
हम बोले-ऐसी भी क्या बेरूखी जो आपने हमें थपेड़ा है
हमने कौन सा आपको छेड़ा है
बोली- नहीं छेड़ा तभी तो मारा
लगा ना बहुत करारा
हम आगे चल दिए
एक गधे महाशय मिल गये
हमने उसको पकड़ा
कस के चूमा, बाहों में जकड़ा
बोले - गधे जी गुरू बन जाओ
इतना सुनते ही वह हँसने लगा, मुस्कराया
उसकी भाषा को हमने ट्रांसलेट करवाया
हमने गधे के विचारों को जाना
हँसने के कारण को पहचाना
कि समय पड़ने पर गधे को बाप बनाया जाता है
और तुम गुरू बनाने चले हो
यानि नया मुहावरा शुरू कराने चले हो
हम बोले - आजकल तो ऐसा ही जमाना होता है
आजकल गुरू को गधा व गधे को गुरू माना जाता है
तभी हमने एक चीटी को देखा
उसे गुरू बनाने को चीनी का एक दाना भी फेंका
वो चीटीं उस चीनी के कण को
काफी देर तक घूरती रही
हर एक कोण से हर छोर से देखती रही
व बिना खाये ही चल दी
अब हमने सोचा शायद उसे डायबिटिज होगी
हमने कारण पूछा तो वो बोली -
मक्खन लगा के पटा रहा है
रिश्वत में चीनी चटा रहा है
मेहनत की ना हो तो मैं चीनी 'ईट' नहीं करतीं
बेशक मैं चीटीं हूँ पर मैं 'चीट' नहीं करती
दोस्तों तब मैंने सोचा उन आधुनिक गुरूओं के बारे में
एक शिक्षक गुरू
अपनी खूबसूरत शिष्या को भगा ले जाता है
और एक धार्मिक गुरू ईश्वर को भी दगा दे जाता है
नेता गुरू सिखाता है अपने चेलों को
दंगे और घोटालों के मन
जुगाड़ और अय्याशी के तन
और गुरू नाम का कीटाणु
आज हर क्षेत्र में पाया जाता है
और माफ करना गधे महाशय
आज गुरू गधों को ही बनाया जाता है
आज गुरू गधों को ही बनाया जाता है

 

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