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अनुभूति में सुनील साहिल की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
उठो भी अब
काश
छोटी छोटी बूँदें
जब तुम आते हो
तुमसे मिलने के बाद
दरियागंज के आसपास

हास्य व्यंग्य में-
जोंक
गुरू की महिमा

 

तुमसे मिलने के बाद

ऐसे तो कभी न छुआ
हवा ने पहले मुझे
न कभी सुने हवाओं के गीत
पहले भी तो चला था
पतझड़ के झरे
इन पत्तों से ढकी राह पर
आज सुनता हूँ
इनकी धड़कनों से निकलता शोर

कभी न कीं इतनी बातें
मुस्काते फूलों से
उड़ती धूल से आँखें बचाकर
नहीं निकलता अब
वरन करता हूँ उनका स्वागत
अपनी देह पर रम जाने को

ओस भी कोहरा भी
और शीत लहर
भिगो जाती है मेरी आत्मा को
और कोई मेरे भीतर मौन
स्वत: लगता है खिलखिलाने

तारे कभी न लगे इतने उजले
आसमाँ कभी न लगा
इतना पास
और उसमें विचरते
परिंदों के संग
कभी न उड़ा यों पहले मैं

साँझ में छिपता सूरज
उड़ती गोधूलि
गउओं के गले में
बजती घंटियों के संग
कभी न नाचा मेरा हृदय

सच
दुनिया कितनी खूबसूरत है
जाना
तुमसे मिलने के बाद

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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