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कहानियाँ
अपने बचपन में
कहानियाँ जो सुनी हमने
दादी-नानी से
उन सबका अंत
कुछ यूँ होता था
"और वे सब सुख से रहने लगे"
कितने-कितने घुमावों वाली
फिर भी
कितनी सरल होती थीं
वे कहानियाँ
उन कहानियों की
उँगली पकड़ कर खड़ा हुआ
जो जीवन
वह भी सरल ही रहा
और सुख से ही गुजर गया।
आज,
कहाँ हैं वे कहानियाँ
और, छोडो कहानियों को
पहले तो ढूँढो
कहाँ हैं वे नानियाँ।
२७ अगस्त २०१२
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