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सुबह उठा तो
सड़क पर
स्कूल जाते बच्चों की जगह
टहल रही थी संगीनें
और पसरा था
एक गहरा सन्नाटा
सड़क के उस छोर तक।

ऐसे माहौल में
एक नन्ही चिड़िया
मेरे घर आई
पल भर को बैठी
मुंडेर पर
एक प्यारा गीत गाकर
तोड़ कर वह मर्मभेदी
सन्नाटा।
उड़ गई वह
सूरज के स्वागत को।

मुझे हुई ईर्ष्या
चिड़िया के भाग्य से।

२७ अगस्त २०१२

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