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प्यार का अर्थ

वो प्यार नहीं था
जो मैंने तुम से किया था।
सारा-सारा दिन
इंतज़ार किया करता था मैं
बस तुम्हारे रास्तों को
तकना ही जैसे
मेरी दिनचर्या हो गई थी।
वोह भी तो प्यार कहाँ था
जब तुम्हारे
बस एक फ़ोन की
आवाज़ मुझे सुकून दे जाती थी।
वह भी प्यार नहीं था
की तुम्हारे पत्रों को
अपने सीने से लगाता था।
नहीं प्रिये!!
इन सब को मैं
प्यार की संज्ञा नहीं दे सकता।
वोह प्यार नहीं
जो मैं किया करता था।
प्यार तो बस
तुमने ही किया था मुझसे,
तुमने कभी इंतज़ार नहीं किया मेरा
क्योंकि तुम चली आया करती थी
मुझसे मिलने।
फ़ोन सदा तुमने ही किया,
पत्र भी तुम ही तो
भेजा करती थी मुझे।
प्यार में ख़ुद को
समर्पित कर दिया था तुमने।
आज तुम नहीं हो
मगर!
मैं ज़िंदा हूँ
प्यार का अर्थ जान ने के लिए

9 सितंबर 2007

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