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अनुभूति में मुकुंद कौशल की रचनाएँ-

गीतों में-
ऐसी माचिस लाएँ कहाँ से
कितने घर हैं
यह नयी झुग्गी
नयी उमंगों की चंचलता
रंगबिरंगे मर्तबान में

अंजुमन में-
गीता जैसा पावन ग्रंथ
जितना मेरे हाथों की रेखाओं में

जितने भी अफसर
जो कड़ी धूप से
मानता हूँ

 

ऐसी माचिस लाएँ कहाँ से

रंगबिरंगे मर्तबान में-
संयम, बोता रहा कुहासे

बाजारों में उछल रहे हैं
सूचकांक के कंकड़ जितने
अन्तर्सम्बन्धों में आए
आज गिरावट के क्षण उतने
जाने कैसे फिर भी राही-
गाता रहता बारहमासे

काँस वनो की गहन उदासी
रेतीली आँखों तक पसरी
आँचल में हैं अश्रु कथाएँ
काँधे पर जड़ता की गठरी
सूरज के आवारा छौने-
फिर लौटे हैं भूखे प्यासे

मादक द्रव्य पिये सोया है
मौसम ताने हुए रजाई
सिता गई है एक-एक कर
परिवर्तन की दिया सलाई
और क्रांति की तीली सुलगे-
ऐसी माचिस लाएँ कहा से

१ दिसंबर २०१६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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