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अनुभूति में मुकुंद कौशल की रचनाएँ-

गीतों में-
ऐसी माचिस लाएँ कहाँ से
कितने घर हैं
यह नयी झुग्गी
नयी उमंगों की चंचलता
रंगबिरंगे मर्तबान में

अंजुमन में-
गीता जैसा पावन ग्रंथ
जितना मेरे हाथों की रेखाओं में

जितने भी अफसर
जो कड़ी धूप से
मानता हूँ

 

नयी उमंगों की चंचलता

चीड़ वनों से जब टकराते
बादल के छौने
पीपल से बरगद कहता है
हम कितने बौने

कौड़ी रखी मुट्ठियाँ भींचे
दिवस हुए अवशेष
शिला पटल पर लिखे रह गए
सपनों वाले देश

नयी उमंगों की चंचलता
उमर लगी ढोने

सागर की आँखों में झलकी
मरुथल वाली प्यास
बूँद-बूँद कर झरा समय की
मुट्ठी से मधुमास

स्मृतियों ने मोड़ लिये कुछ
पृष्ठों के कोने

अवचेतन में गहरे उतरी
धूप जवानी की
तट पर फिर महसूस हुईं
गतिविधियाँ पानी की

सहसा ऊँचे हुए शिखर जो
कल तक थे बौने

१ दिसंबर २०१६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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