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अस्पताल का कमरा

वह आती है
बड़ी मुस्तैदी से
झटपट
फटाफट
नापती है रक्तचाप,
देखती है दिल की धड़कन
बूँद बूँद नाड़ियों में घुलते
द्रव्य की गति,
लेकिन
वह मुझे नहीं देखती
मेरी आँखों में
फिर ओठों में
होती है
धीमी-सी हरकत
मैं उससे कुछ कहना चाहती हूँ
पर वह उसी फुर्ती से चल देती है
अगली मशीन के कलपुरजे जाँचने।

५ मई २००८

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