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  उम्र के मानदंड

अपने होने का अनुमान मुझे तुम्हीं से होता है
तुम्हारे चेहरे की तनी ज़मीन पर उभरती सलवटें
आँखों के कोनों में खिंचती लकीरें
मुझे अपने चेहरे का अंदाज़ देने लगती है

जो तुममें देख पा रही हूँ
अपने आप को
तुमको देख रही हूँ
अपने आप में।

अपने आप से
क्यों नहीं दीखता मुझे
क्यों तुम उम्र का मानदंड बन
मेरे आगे पेश रहते हो!

५ मई २००८

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