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अनुभूति में अश्विनी कुमार विष्णु की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
ऊँचाई
घर
जलस्तर
थकन
वन देवता

हाइकु में-
बारह हाइकु मौसम के नाम

गीतों में-
चंदा मामा रहो न अब यों
चलना पथ पाना है

तटबन्धों-का टूटना
मन की पहरेदारी में

मेघ से कह दो

अंजुमन में-
टूटे-फूटे घर में
फ़ुर्सत मिले तो
बिना मौसम
शहर में

संकलन में-
नयनन में नंदलाल- प्रभुकुंज बिहारी
नया साल- नया क्या साल में है
ममतामयी- जय अम्बिके
विजयपर्वी- आशाएँ फलने को विजयपर्व कहता चल
         पिंजरे का तोता
होली है- फागुन की पहली पगचाप

हरसिंगार- मन हरसिंगार

 

ऊँचाई

धीरे-धीरे ढल रही थी धूप
हमें भी ज़ल्दी कहाँ थी किसी बात की
उतरना ही तो था शिखर से नीचे

वहीँ की वहीं रहती हैं घाटियाँ

ऊँचाई पर बैठे तुम्हारे संग
कुछ ज़्यादा ही सुहाना लग रहा था
यह सच मुझे

नए-नए रंग
पकड़ रखे थे मैंने
टॉफ़ियों की तरह
बादलों में घुलने लगे थे वही रंग

तुम्हारे ओठों से चुराए
उन्हीं की मिठास
मैं उतर आया नीचे
और इतनी ऊँची उठ गई
वही ऊँचाई
कि छुई न जा सकी
मुझसे दोबारा

२० जुलाई २०१५
 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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