अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में ओम प्रकाश तिवारी की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
अखबारों में
कहानी परियों की
राजपथ पर
रुपैया रोता है
हम कैसे मानें

गीतों में-
अब सावन ऐसे आता है
अरे रे रे बादल
कर्फ्यू में है ढील
कुम्हड़ा लौकी नहीं चढ़ रहे
गाली देना है अपना अधिकार
चाहे जितने चैनल बदलो
न्याय चाहिये
बूँद बनी अभिशाप

कुंडलियों में-
पाँच चुनावी कुंडलियाँ

आज के नेता और चुनाव

अंजुमन में-
ख़यालों में

 

रुपैया रोता है

डॉलर चढ़ता जाय
रुपैया रोता है

कई बरस से
हार माँगती घरवाली
हम टरकाते रहे
गई न कंगाली
सोना इकतीस पार
लगाए गोता है

चाँदी का रुपया
बाबा ले आते थे
थोड़ा सा कर खर्च
बचा ले जाते थे
आज उसी चाँदी का
दिखता टोटा है

देखे शेयर दलाल
पेट मोटे वाले
हैं कौड़ी के तीन
आज लटके ताले
बिकने को घर का भी
थाली - लोटा है

पगड़ी-लुंगी
जबतक देश संभालेगी
अर्थव्यवस्था को
दीमक सा चालेगी
भली चुप्प जब अपना
सिक्का खोटा है

२ जून २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter