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अनुभूति में रमा सिंह की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अब सुहानी शाम
आँख से आँसू
ऐ सुबह
जैसी भी तमन्ना हो
दिल में हमने
धूप का घर
पेड़ जब धूप से जलने लगे
यों न होठों से
रात दुल्हन-सी सजी
सारी गलियाँ सूनी

  आँख से आँसू

आँख से आँसू जो तुमने चुन लिए
ख़्वाब मेरे साथ कितने बुन लिए

दो तटों के बीच सोई थी नदी
आज फिर जागी नई-सी धुन लिए

एक मौसम जब से कुछ समझा गया
झूमते हैं मन में इक फागुन लिए

लाख चाहा था छुपा लूँ मैं इन्हें
फिर भी सारे गीत तुमने सुन लिए

रोज़ आते हैं किसी के दो नयन
साथ भँवरे की नई गुन-गुन लिए

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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