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अनुभूति में रमा सिंह की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अब सुहानी शाम
आँख से आँसू
ऐ सुबह
जैसी भी तमन्ना हो
दिल में हमने
धूप का घर
पेड़ जब धूप से जलने लगे
यों न होठों से
रात दुल्हन-सी सजी
सारी गलियाँ सूनी

  ऐ सुबह

ऐ सुबह कल फिर से आना राह देखेंगे तेरी
रात से उलझी रही वो चाह देखेंगे तेरी

दुख का विप पीकर भी तूने प्यार ही बाँटा सदा
फिर भी जो उपजी है मन में राह देखेंगे तेरी

पास आकर एक सागर से नदी ने यह कहा
डूबने दे मुझको खुद में, थाह देखेंगे तेरी

बेवजह तोड़े किसी ने फूल जब भी डाल से
उस घड़ी दिल से निकलती आह देखेंगे तेरी

हो गई पूरी गज़ल तो देख लेना ऐ 'रमा'
प्यार से निकली हुई हर वाह देखेंगे तेरी

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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