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अनुभूति में रमा सिंह की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अब सुहानी शाम
आँख से आँसू
ऐ सुबह
जैसी भी तमन्ना हो
दिल में हमने
धूप का घर
पेड़ जब धूप से जलने लगे
यों न होठों से
रात दुल्हन-सी सजी
सारी गलियाँ सूनी

  पेड़ जब धूप से जलने लगे

पेड़ जब से धूप में जलने लगे हैं
लोग राहें छोड़कर चलने लगे हैं

क्या न जाने हो गया इन उपवनों को
फूल ही अब फूल को छलने लगे हैं

बन्द कर पलकें उन्हें रोका तो लेकिन
अश्रु अपने आप ही ढलने लगे हैं

यह तो माना है बहुत खामोश सागर
किन्तु, उनमें ज्वार भी पलने लगे हैं

हर नदी बहती रहे अपनी तरह से
पर्वतों के हिम-शिखर गलने लगे हैं

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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