अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में रवींद्र स्वप्निल प्रजापति
की रचनाएँ-

नई रचनाएँ-
ओ मेरे शरीर
कुछ दिन और मैं
झील- तीन कविताएँ
मैं इश्क का दिन हुआ
सफर

छंद मुक्त में-
आज़ादी
आसमाँ
एक दृश्
कीमत
कोई आशा
तू रौशनी की तरह
दिल की दुनिया
दोस्ती
पाँच छोटी कविताएँ
मेरी नसों में बह रहा है शहर
मैंने तुम्हें
यों हमने प्यार किया
समय की चादर

 

दोस्ती

दोस्तों एक राह पर साथ चलना नहीं होता
ये अहसास का सफ़र है पूरा नहीं होता

दोस्तों किसी बासीपन को लेकर नहीं चलती
इसकी राह में कोई कदम पुराना नहीं होता

दर्द जिसका चाँद-सा हो खुशी समंदर-सी
इसकी दोस्ती से कोई जहाँ बाकी नहीं होता।

ज़िंदगी की नर्सरी में हज़ार रिश्ते हैं
दोस्ती की महक वाला कोई रिश्ता नहीं होता

दर्द से लबरेज दोस्त है वादे मत करो
सामने चुप खड़े रहना कुछ काम नहीं होता

१६ मई २००६

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter