अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में श्रद्धा यादव की रचनाएँ

नई रचनाओं में-
अकेले जीने का हौसला
अपना हक
नयी राहें
बस्ती की बेटी
मुखौटे चोरी हो गए

छंदमुक्त में-
एम्मा के नाम पाती
नियति
मुर्दाघर
नन्हीं सी चिड़िया
भय है
भोली सी चाहत

यातना गृह- १
यातना गृह- २

 

एम्मा के नाम पाती

एम्मा तुम्हारी ख़त्म हो शायद भटकन
काश कि तुम समझ पाती
कि सम्पूर्णता कहीं नहीं
कोई स्त्री किसी पुरुष के लिए
अंतिम नहीं
और ना ही स्त्री के लिए
पुरुष कोई अंतिम
सब कुछ दिनों के बाद
खोखले हो जाते है
अनावश्यक फालतू चीजों की तरह
हमारे लिए अनुपयोगी हो जाते है
प्रेम एक रहस्य है
जो खुलते ही ख़त्म हो जाता है
इसीलिए शायद
पति और पत्नी के बीच
प्रेम फुर्र हो जाता है
कुछ ही दिनों के बाद
नन्ही चिड़िया कि भाँति
पर एम्मा
तुमने क्या पाया
इस रहस्य को तोड़कर
एक नहीं एकाधिक पुरुषों से
अपना सम्बन्ध जोड़कर
तुम्हीं ने खोया
अपना तन, मन, धन
और खुद भारी बेचैनी के बाद
चैन कि नींद सोने से पहले
और बाद में
कितनी ही चैन कि नीदें
तुम तोहफे में उन्हें दे गई
जिन्हें तुम्हारे जीवन और मृत्यु से
कोई सरोकार नहीं था
और जिसे मतलब था
उसे दिया तुमने धोखा, त्रास
और अपने प्रेमियों
को लिखे प्रेम पत्र
क्या इसी जीवन के लिए
जन्मी थी तुम
और ऐसी ही मृत्यु
चाही थी तुमने
बोलो एम्मा

१३ जून २०११

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter