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यातना गृह- १
यातना गृह- २

 

यातना गृह -१
 
जो भी मै कहना चाहती हूँ
उसमे कुछ भी नया नहीं
सब पुराना है
मेरा मकसद तो
बस ये याद दिलाना है
आततायी नहीं मरते
न मरती हैं यातनाएँ
परावर्तित नहीं होती
उनकी आत्माएँ।
इतिहास रचता है
विजेता आपने अनुरूप
हो चाहे वह कैसा भी
होती है उसकी सर्वत्र पूजा ही।
सत्य कही पीछे रह जाता है,
शक्ति और अहं जब टकराता है।
साक्षी इतिहास में
गर जर्मनी की हार न होती,
तो हिटलर मिथक बन जाता
सुशाशन और सुव्यवस्था का
और न खुलते यातना गृह
गैस चेम्बरों के ...

२८ नवंबर २०११

 

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