अनुभूति में
सुशील जैन की
रचनाएँ -
नई रचनाओं में-
कविता
पहाड़
प्रेमकथा
मनवृक्ष
वृक्ष संस्कृति
छंदमुक्त में-
अर्ध शतक
एक शहर की दास्तान
इस निर्मम समय में
उड़ान
कर्फ्यू
कहानियाँ
क्या कहूँगा में
चिड़िया
दो छोटी कविताएँ
पेड़
प्रश्न-क्षण
प्रशिक्षण
सेतुबंध
|
|
पहाड़
पहाड़ सी जिंदगी
गुजार दी तुमने
काटते-काटते
पहाड़ के पाँव
पर देर से जाना कि
पहाड़ के पाँव नहीं होते
लहू की धार ने बताया
ये तुम्हारे अपने ही पाँव थे
पहाड़ तो सब कुछ झेलता है
अपने वक्ष पर।
मैंने आलिंगन किया है
उस वक्ष का
सुना है स्पंदन
उस ह्रदय का।
बैठो
इस नदी किनारे
देखो
जल भर कर अंजलि में
धूप की एक किरन
बताएगी तुम्हें
एक दुर्धर, कठिन
पर्वत
घुल रहा है
इस नदी के
प्यार में।
१९ मई २०१४
|