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अनुभूति में चंद्रभान भारद्वाज की रचनाएँ -

नई रचनाएँ-
नहीं मिलते
मैं एक सागर हो गया
राह दिखती है न दिखता है सहारा कोई
हर किरदार की अपनी जगह

अंजुमन में-
अधर में हैं हज़ारों प्रश्न
आदमी की सिर्फ इतनी
उतर कर चाँद
कदम भटके
कागज पर भाईचारे
कोई नहीं दिखता
खोट देखते हैं
गगन का क्या करें
जब कहीं दिलबर नहीं होता
ज़िन्दगी बाँट लेंगे
गहन गंभीर
तालाब में दादुर
दुखों की भीड़ में
नाज है तो है
नदी नाव जैसा
पीर अपनी लिखी
फँसा आदमी
मान बैठे है
रात दिन डरती हुई-सी

रूप को शृंगार
सत्य की ख़ातिर
सिमट कर आज बाहों में

संकलन में- होली पर

 

खोट देखते हैं

कुछ लोग तो हर बात में ही खोट देखते हैं
मन पर नहीं तन पर लगी बस चोट देखते हैं

आदत है जिनकी पीठ के पीछे से वार करना
वे वार से कुछ और पहले ओट देखते हैं

पग पग सियासत ने बिछा रक्खी बिसात ऐसी
इंसान में शतरंज की इक गोट देखते हैं

हर रोज घोटाला कि हत्या लूट और डाका
अखबार के हर पृष्ठ पर विस्फोट देखते हैं

निपटें बता कार्यालयों में मामलात कैसे
जब कर्मचारी फाइलों में नोट देखते हैं

दो वक्त की होती नहीं रोटी नसीब जिनको
वे कुछ भुने चनों में अखरोट देखते हैं

डिगने लगा विश्वास अब जनतंत्र से ही जन का
नेता तो बस हर योजना में वोट देखते हैं

अब योग्यता मापी नहीं जाती यहाँ सनद से
टाई गले में और तन पर कोट देखते हैं

बैठे हुए हैं लोग 'भारद्वाज' ले कसौटी
कद से भी पहले आपका लंगोट देखते हैं

१८ नवंबर २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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