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नीम के फूल
पहले मन में तोल
फूल ही फूल

फूल उनके हाथ में जँचते नही
बात सचमुच
भला करता है जो
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मिलने का भरोसा
याद आए तो
याद की बरसातों में
याद भी आते क्यों हो
ये राह मुहब्बत की
लोग हसरत से हाथ मलते हैं

वो ही काशी है वो ही मक्का है
साल दर साल

`

साल दर साल

साल दर साल ये ही हाल रहा
तुझसे मिलना बड़ा सवाल रहा

याद करना खुदा को भूल गए
नाम पर उसके बस बवाल रहा

ना सँभाला जो पास है अपने
जो नहीं उसका ही मलाल रहा

यों जहाँ से निकाल सच फेंका
जैसे सालन में कोई बाल रहा

क्या ज़रूरत उन्हें इबादत की
जिनके दिल में तेरा खयाल रहा

ऐंठता भर के जेब में सिक्के
सोच में जो भी तंगहाल रहा

दिल की बातें हुई तभी रब से
बीच जब ना कोई दलाल रहा

चाँद में देख प्यार की ताक़त
जब समंदर लहर उछाल रहा

५ मई २००८

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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