अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में नीरज गोस्वामी की
रचनाएँ -

नई रचनाएँ-
खौफ का जो
दोस्त सब जान से भी
फिर परिंदा चला
बरसती घटा में

दोहों में-
मूर्खता के दोहे

अंजुमन में-
आए मुश्किल
उन्हीं की बात होती है

कभी ऐलान ताकत का
कहानी में
कुछ क़तए
कुछ रुबाइयाँ
कौन करता याद
कौन देता है कौन पाता है
गर हिम्मत हो
गीत तेरे

जड़ जिसने थी काटी
जहाँ उम्मीद हो ना मरहम की

जिस पे तेरी नज़र
झूठ को सच बनाइए साहब
तल्खियाँ दिल मे
तेरे आने की ख़बर
तोड़ना इस देश को
दिल का दरवाज़ा
दिल का मेरे
दिल के रिश्ते
नीम के फूल
पहले मन में तोल
फूल ही फूल

फूल उनके हाथ में जँचते नही
बात सचमुच
भला करता है जो
मान लूँ मै
मिलने का भरोसा
याद आए तो
याद की बरसातों में
याद भी आते क्यों हो
ये राह मुहब्बत की
लोग हसरत से हाथ मलते हैं

वो ही काशी है वो ही मक्का है
साल दर साल

`

याद आए तो

ज़िक्र तक हट गया फ़साने से
लोग जब हो गए पुराने से

बात सुनते नहीं बुज़ुर्गों की
हैं ख़फ़ा उनके बुदबुबाने से

जो है दिल में जुबाँ पे ले आओ
दर्द बढ़ता बहुत दबाने से

तू मिला आँख यार क़ातिल से
ना पसीजेगा गिड़गिड़ाने से

याद आए तो जागना बेहतर
मीच कर आँख छटपटाने से

राज बस एक ही खुशी का है
चाहा कुछ भी नहीं जमाने से

ग़म के तारे नज़र नहीं आते
चाँद के सिर्फ़ मुसकुराने से

देख बदलेगी ना कभी दुनिया
तेरे दिन रात बड़बड़ाने से

बुझ ही जाना बहुत सही यारों
बे सबब यों ही टिमटिमाने से

तुम बुरे को बुरा कहो नीरज
यही अच्छा है फुसफुसाने से

24 जुलाई 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter