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  वायदों की छुरी

राजनीति की गलियाँ
संकरी हो गई हैं,
आम जनता
खूँटे से बँधी
बकरी हो गई है,
चुनाव के त्यौहार तक
मतदान के वार तक,
खिला-पिलाकर
लाल करते हैं,
वायदों की छुरी से
हलाल करते हैं।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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